किताब – चाय सी मोहब्बत
लेखक पारितोष त्रिपाठी
हर शाम सूरज समन्दर मे डूब के चाद बन जाता है
ये दोनो एक ही है, हमारी तरह
जैसे तुम गुस्से मे मै बन जाती हो
मै शाम हो के तुम बन जाता हू
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